श्रृंगार रस - सुंदरता का सार
तेरे रंग से नहीं, तुम से प्यार करता हूँ ,
खो ना जाौ इस माया में, बस ईस बात से डरता हूँ |
मोर जैसी आँखें तेरी, मैं उनमें खो जाना चाहता हूँ ,
तुझे देख पुष्प भी खिल जाए, मैं बन पुष्प जाना चाहता हूँ |
केश तेरे नदी की तरह लहराते, मैं उन्मे तैरना चाहता हूँ ,
मैं मछली और तुम जल, तुम्हें खुश देखकर जीना चाहता हूं |
ईश्वर ने बनाया तुमकौ सुंदर है, तेरी सुंदरता मे डूब जाना चाहता हूँ ,
मै तुम से प्यार करता हूं, बस यह कहना चाहता हूँ |
तेरे रंग से नहीं, तुम से प्यार करता हूं ,
खो ना जाौ इस माया में, बस ईस बात से डरता हूँ |
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